Jaiv Vividhta Kya Hai जैव विविधता क्या है, इसका महत्व और प्रकार

Jaiv Vividhta Kya Hai, जैसे हमारे यहाँ अलग-अलग संस्कृति और सभ्यताएं पाई जाती है उसी तरह हर जगह के हिसाब से वहाँ का वातावरण और सभी जीवधारियों की उपस्थिति होती है।

ये अलग-अलग वातावरण मिलकर ही जैव विविधता का निर्माण करते है, हमारे आसपास मौजूद सभी चीजें एक दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़ी हुई है, चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से हो, यदि किसी एक प्रजाति के ऊपर कोई सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है तो उसका असर आने वाले समय में बाकी के सभी जीवधारियों पर अवश्य पड़ता है।

Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, जैव विविधता के बारे में Jaiv Vividhta Kya Hai, इसका क्या महत्व है और साथ ही इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में भी।

Jaiv Vividhta Kya Hai

Jaiv Vividhta Kya Hai –

Jaiv Vividhta Kya Hai, इस साल 2000 तक पर बायोडायवर्सिटी डे यानी जैव विविधता दिवस 29 दिसंबर को मनाया जाता था लेकिन 2001 से इसकी तारीख बदलकर 22 मई कर दी गई लेकिन दिसंबर हो या यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर जैव विविधता होती है और क्यों bio-diversity को बचाए रखना जरूरी है।

अगर आसान भाषा में कहें तो किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की संख्या और उनके अलग-अलग प्रकारों को जैव विविधता कहा जाता है जैसे अगर आप रेगिस्तान में जाएंगे तो आपको अलग तरह के पौधे और जानवर मिलेंगे और अगर आप समुद्री इलाके में जाएंगे तो अलग तरह के पौधे और जीव-जन्तु देखने को मिलेंगे।

इसी तरह पहाड़ पर अलग तरह के ऊंचे-ऊंचे पेड़ मिलेंगे और फर वाले जानवर मिलते हैं और मैदान में सामान्य चीज होती है जैसा कि हम और आप देखते हैं यह भिन्नताएं ही bio-diversity कहलाती है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि बॉयो डाइवर्सिटी का मतलब केवल स्पीशीज यानि प्रजातियों की विविधता नहीं है बल्कि उनके आसपास के वातावरण उससे भी है, जिसमें रहते हैं या निवास करते हैं।

दुनिया भर में बहुत सी जगह ऐसी भी है जहां स्पिशिज जानी प्रजातियों की संख्या बहुत ज्यादा होती है ऐसे एरिया को हॉटस्पॉट या मेगा डाइवर्सिटी एरिया कहते हैं दुनिया भर के लगभग 60 से 65 प्रतिशत पक्षी जानवर पेड़-पौधे इन्हीं हॉटस्पॉट क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

भारत की बात करें तो भारत में भी बहुत ज्यादा bio-diversity पाई जाती है भारत में जो क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से हॉटस्पॉट है उनमें इंडो वर्मा क्षेत्,र हिमालयन रीजन पश्चिमी घाट और सुंडा लैंड यानि निकोबार द्वीप का भाग आता है।

हॉटस्पॉट में वैश्विक जैव विविधता का कुल 17 प्रतिशत भाग भारत के पास है भारत दुनिया के टॉप 10 और एशिया के टॉप 4 देशों में शामिल है जहां 90 हजार से ज्यादा जीवों की प्रजातियां हैं।

ऐसे ही कई फूल वाले पौधों की प्रजातियां है पूरी दुनिया की लगभग पांच प्रतिशत से ज्यादा प्रजातियां भारत में ही मिलती है।

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दरअसल भारत के उत्तर में हिमालय के दक्षिण में हिंद महासागर पूर्व में बंगाल की खाड़ी और पश्चिम में अरब सागर है भारत में जलवायु और अलग-अलग क्षेत्रों की स्थलाकृतियों में भिन्नता भी है जिसकी वजह से उसकी ईकोलॉजी में भी डाइवर्सिटी दिखाई देती है अपनी इन्हीं सब विशेषताओं के कारण भारत bio-diversity के नजरिए से एक बेहद समृद्ध देश है।

वैसे जैव विविधिता कई तरह की होती हैं पहली तो होती है जिनके आधार पर जैसे आप सभी बिल्लियों को बिल्लियां मछलियों को मछली कहते हैं लेकिन जेनेटिकली की बिल्लियां अलग-अलग हो सकते हैं मछलियां वे ऐसे खरगोश की भी कई प्रजातियां मिलती हैं जैसे सफेद खरगोश बेल्जियन खरगोश जंगली खरगोश या खाने की बात करें तो गेहूं टमाटर आलू में भी विविधता होती है

दूसरी तरह की डाइवर्सिटी होती है प्रजाति की यानी एक ही जगह पर सांप भी है मेंढक भी हाथी घोड़ा भी बिल्ली भी।

तीसरी विविधता आवास यानी रहने की है जैसे घास के मैदान पहाड़ झील रेगिस्तान जंगल इन सब में भी काफी विविधता होती है जैसे जो घास के मैदान अफ्रीका में है रूस में नहीं है और जैसे बर्फीले पहाड़ नेपाल में है वैसे यह दक्षिण भारत में नहीं है।

इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए देखें तो भारत में कुछ ऐसे जीव जंतु भी पाए जाते हैं जो बेहद दुर्लभ मसलन ग्रेट इंडियन बस्टर्ड जो आयुष्मान की क्रिटिकली एंडेंजर्ड श्रेणी में आता है वह दुनिया में सबसे भारी पक्षियों में से एक है।

इनके अलावा आंध्रप्रदेश का स्थानिय पक्षी “जर्जन कोर्सर”, मध्यप्रदेश महाराष्ट्र में देखे जाने वाला “फॉरेस्ट आफ फ्लैट” उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों में अत्यंत दुर्लभ सफेद पेट वाला बगुला, अरुणाचल में पाई जाने वाली उड़ने वाली “नामदा फर” गिलहरी, तमिलनाडु के घाट पर पाए जाने वाले “लार्ड्स रॉक रेट”, पश्चिमी घाट में मिलने वाला “मालाबार सिवेट”, “नीलगिरी ताहर” इनके अलावा “घड़ियाल”, “लौंग”, “एक सींग वाला गैंडा” कुछ ऐसे जंतु यह सब जो भारत की बॉयोडायवर्सिटी को दर्शाते है।

यह सच है कि भारत में डाइवर्सिटी वाला देश है लेकिन यह भी सच है कि इस विविधता को बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं है में कारण है कि सब प्राकृतिक नियमों से बंधे हैं एक जीव खत्म हुआ तो उस पर निर्भर दूसरी प्रजाति अपने आप संकट में आ जाएगी कई प्रजातियों का
विलुप्त भी हो चुका है।

जैव विविधता से मनुष्य प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभ प्राप्त करता है अब जानते हैं मानव को जीव जंतु वनस्पति इन सबसे भोजन आवास के लिए जरूरी संसाधन औषधि आदि की प्राप्ति तो होती है साथ ही यह साइंटिफिक रिसर्च यानी वैज्ञानिक अनुसंधान और इनोवेशन के लिए भी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराते है।

यह बायोडाइवर्सिटी ही पृथ्वी पर जीने का एक आधार देती है सौंदर्य की दृष्टि से तो इसका अपना महत्व है ही लेकिन सामाजिक और आर्थिक तौर पर भी इसकी उपयोगिता है।

प्रदूषण, जनसंख्या वृद्धि, जानवरों का अवैध शिकार, उनकी तस्करी कृषि क्षेत्र का विस्तार, आवासों को नष्ट करना जलवायु परिवर्तन यह कुछ ऐसे कारण है जिनसे bio-diversity को खतरा पहुंच रहा है।

कहते हैं कि पृथ्वी पर जीव-जंतु पेड़-पौधे अधिक संख्या लाखों में नहीं करोड़ों में है हर साल 15 हजार से ज्यादा नई प्रजातियों की खोज होती है भारत का पश्चिमी घाट तो ऐसी खोज के लिए विख्यात है।

ऐसे में भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं और उपाय किए जाते हैं जैसे – नेशनल पार्क, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, बाय स्पिरिट्स, रिजर्व और बॉटनिकल गार्डन जूलॉजिकल पार्क यानि चिड़ियाघर यह सब संरक्षण की योजना का हिस्सा है।

अगली बार जब भी आप इनमें से किसी स्थान पर जाएं या आसपास जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों देखें तो याद रखिए का यह सब हमारी बायोडाइवर्सिटी का भाग है और इनका संरक्षण हमारी भी जिम्मेदारी है।

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जैव विविधता के प्रकार –

प्रजातीय विविधता –

प्रजातीय विविधता से मतलब है, किसी विशेष क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की प्रजातियों की विविधता से है।

प्रजातीय विविधता, सबसे बुनियादी स्तर पर जैव विविधता है, इसमें पौधों से लेकर विभिन्न सूक्ष्मजीवों तक की सभी प्रजातियाँ शामिल हैं।

उदाहरण के लिए मनुष्य आपस में बहुत विविधता दिखाते हैं, क्योंकि एक ही प्रजाति के कोई भी दो व्यक्ति बिल्कुल एक जैसे नहीं होते।

आनुवंशिक विविधता –

यह जीवों के आनुवंशिक संसाधनों के बीच भिन्नता को संदर्भित करता है। किसी विशेष प्रजाति का प्रत्येक व्यक्ति अपनी आनुवंशिक संरचना में एक दूसरे से भिन्न होता है।

इसीलिए हर इंसान एक दूसरे से अलग दिखता है। इसी प्रकार चावल, गेहूँ, मक्का, जौ आदि की एक ही प्रजाति में भिन्न-भिन्न प्रजातियाँ होती हैं।

पारिस्थितिक विविधता –

एक पारिस्थितिकी तंत्र जीवित और निर्जीव जीवों और एक दूसरे के साथ उनकी बातचीत का एक संग्रह है।

पारिस्थितिक जैव विविधता से मतलब है, पौधों और जानवरों की प्रजातियों में एक साथ रहने और खाद्य श्रृंखलाओं और खाद्य जालों से जुड़ी विविधतायें।

यह एक क्षेत्र में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के बीच देखी जाने वाली विविधता है। विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों जैसे रेगिस्तान, वर्षावन, मैंग्रोव आदि में विविधता में पारिस्थितिक विविधता शामिल है।

जैव विविधता का महत्व –

पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए जैव विविधता और इसका रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है। जैव विविधता के महत्व को समझाने वाले कुछ कारण इस प्रकार हैं:

पारिस्थितिक स्थिरता –

पारिस्थितिकी तंत्र में प्रत्येक प्रजाति की एक विशिष्ट भूमिका होती है। वे ऊर्जा ग्रहण और भंडारण करते हैं और कार्बनिक पदार्थ का उत्पादन और विघटन भी करते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र उन सेवाओं का समर्थन करता है जिनके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकते। एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र अधिक उत्पादक है और पर्यावरणीय तनाव का सामना कर सकता है।

आर्थिक महत्व –

जैव विविधता भोजन, कॉस्मेटिक उत्पादों और फार्मास्यूटिकल्स के निर्माण के लिए संसाधनों का भंडार है।

फसलें, पशुधन, मत्स्य पालन और जंगल भोजन के समृद्ध स्रोत हैं, सिनकोना और फॉक्सग्लोव पौधे जैसे जंगली पौधों का उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है।

लकड़ी, रेशे, इत्र, चिकनाई, रबर, रेजिन, ज़हर और कॉर्क सभी विभिन्न पौधों की प्रजातियों से प्राप्त होते हैं, राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य पर्यटन का एक स्रोत हैं। वे कई लोगों के लिए सुंदरता और आनंद का स्रोत हैं।

नैतिक महत्व –

सभी प्रजातियों को अस्तित्व का अधिकार है। मनुष्य को अपने स्वैच्छिक विलुप्त होने का कारण नहीं बनना चाहिए। जैव विविधता विभिन्न संस्कृतियों और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करती है। इसलिए जैव विविधता का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।

भारत में जैव विविधता –

भारत दुनिया के सबसे विविध देशों में से एक है। पौधों की प्रजातियों की समृद्धि के मामले में यह नौवें स्थान पर है। दुनिया के 25 जैव विविधता हॉटस्पॉट में से दो भारत में पाए जाते हैं।

यह अरहर, बैंगन, ककड़ी, कपास और तिल जैसी महत्वपूर्ण फसल प्रजातियों का उद्गम स्थल है। भारत विभिन्न घरेलू प्रजातियों जैसे बाजरा, अनाज, फलियां, सब्जियां, औषधीय और सुगंधित फसलों आदि का भी केंद्र है।

भारत अपनी पशु संपदा के मामले में भी उतना ही विविध है। यहां लगभग 91000 जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं।

हालाँकि, विविधता तेजी से कम हो रही है और प्रकृति के संरक्षण के लिए जैव विविधता संरक्षण पर विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं।

Summary –

हमारे आसपास मौजूद सभी चीजें एक दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़ी हुई है, चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से हो या अप्रत्यक्ष रूप से हो, यदि किसी एक प्रजाति के ऊपर कोई सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

तो दोस्तों जैव विविधता क्या है, Jaiv Vividhta Kya Hai, इसके बारे में यह आर्टिकल आपको कैसा लगा, हमें जरूर बताएं नीचे कमेंट बॉक्स में, अगर आपके पास इस टॉपिक से जुड़ा हुआ कोई भी सवाल या सुझाव है तो उसे भी जरूर लिख भेजें, Thank You 🙂

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