समय के साथ चीजें बदलती रहती है और वह पहले से भी अपने स्वरूप में एडवांस होती चली जाती है, यह अनुभव आप अपने आसपास बदलती चीजों को देखकर कर सकते है, समय के साथ ही एंटेरटैनमेंट में नई टेक्नॉलजी और उसके साथ बदलाव देखने को मिला है।
एक समय में रेडियो हमारे मनोरंजन का साधन हुआ करता था, आज उसकी जगह विडिओ ले ले ली है, लेकिन ऑडियो के रूप में पुराने जमाने में सुना जाने वाला रेडियो अपग्रेड होकर आज पॉडकास्ट का रूप ले चुका है।
आज के समय में पॉडकास्टिंग एक काफी पॉपुलर माध्यम हो चुका है, क्योंकि इसके कई सारे फायदे है।
Hello Friends, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर आज हम बात करने जा रहे है, पॉडकास्टिंग के बारे में यह क्या है, पॉडकास्टिंग के फायदे और पॉडकास्टिंग प्लेटफॉर्म्स के बारे में, उम्मीद करता हूँ आपको इससे कुछ सीखने को अवश्य मिलेगा।
Podcast Kya Hai? –
Podcast एक ऑनलाइन “ऑडिओ ब्रॉडकास्टिंग सर्विस” है, यह एक ऑडिओ बेस्ड सर्विस है जहां पर आपको आवाज के रूप में कंटेन्ट सुनने को मिलता है, दूसरे शब्दों में पॉडकास्ट को ‘इंटरनेट रेडियो’ भी कहा जाता है।
पॉडकास्ट की शुरुआत, एप्पल कंपनी के फाउन्डर “स्टीव जॉब्स” ने अपने प्रोडक्ट iTunes और iPod के लिए की थी।
साल 2005 में एप्पल के एक प्रोडक्ट लांचिंग ईवेंट में “स्टीव जॉब्स” (एप्पल के संस्थापक) के द्वारा पहली बार इस शब्द का प्रयोग किया गया, जिसमें iPod के ‘Pod’ और Brodcast के ‘Cast’ को मिलाकर ‘Podcast’ शब्द बनाया गया है।
भारत मे पॉडकास्टिंग की शुरुआत 2006 में हुई थी, उस समय यह पुराने नोकिया के सिम्बियन फोन्स में देखने को मिलता था, हालांकि उस समय यह उतना पॉपुलर नही था।
लेकिन आज के समय में भारत में भी लोग इसके बारे में रुचि ले रहे है और अब यह धीरे-धीरे भारत में भी काफी तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है, जब से इसकी शुरुआत हुई तभी से यह भारत से बाहर पश्चिमी देशों में यह बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है जैसे कि हम आज के समय में यूट्यूब को जानते है।
पहले यह सर्विस ऑडिओ के रूप में देखने को मिलती थी, लेकिन आज के समय में यूट्यूब पर भी पॉडकास्ट देखने को मिलता है।
पॉडकास्ट आमतौर पर ऐसा कंटेन्ट होता है जिसे विडिओ की तरह देखने की जरूरत नहीं पड़ती है, इसमें ऑडिओ फॉर्म में कंटेन्ट इस तरह से बनाया गया होता है कि श्रोता सुनकर उस कंटेन्ट को समझ सकता है।
Podcast Meaning in Hindi –
Podcast Meaning in Hindi, पॉडकास्ट से हमारा मतलब एक ऐसी मीडिया फाइल से है जो कि इंटरनेट पर फीड के द्वारा प्रसारित की जाती है जिसे कि कंप्यूटर तथा पोर्टेबल मीडिया प्लेयरों जैसे आईपॉड तथा स्मार्टफोन आदि द्वारा चलाया जा सकता है।
तथा इस प्रक्रिया को पॉडकास्टिंग कहा जाता है, इस मीडिया फाइल को बनाने और प्रसारित करने वाले व्यक्ति को पॉडकास्टर कहा जाता है।
कुछ इसी तरह रेडियो भी काम करता है लेकिन रेडियो एक लाइव सर्विस सुविधा है और इसके लिए इंटरनेट की आवश्यकता नहीं होती है।
पॉडकास्टिंग के क्या फायदे हैं?-
अब आपके मन यह विचार आ रहा होगा कि केवल ऑडियो सुनने से क्या होगा, तो मैं आपको बता दूं यह भी उतना ही पॉवरफुल और उपयोगी माध्यम है जितना की कोई अन्य प्लेटफॉर्म।
ऐसी चीजें जिन्हें ऑडिओ के रूप में सुनकर सीखा जा सकता है, पॉडकास्टिंग के माध्यम से यह संभव है, जैसे- कहानियाँ, मोटिवेशनल स्टोरी, न्यूज, किसी मुद्दे पर विचार, ऑडिओ के माध्यम से सीखने वाले कंटेन्ट इत्यादि।
केवल इतना ही नहीं इसके अलावा इसके और भी बहुत सारे फायदे है, जिसके कारण आने वाले समय में यह अन्य सोशल मीडिया की तरह पॉपुलर होने वाला है।
सुनने में आपको, भले ही अजीब लगे लेकिन रेडियो एक ऐसी चीज है जो भारत के सभी जगहों पर आसानी से पहुँच सकती है।
अपने विशेष फीचर्स के कारण आने वाले समय में पॉडकास्ट आसानी से रेडियो को पीछे छोड़ सकता है।
टेलीविजन के घर-घर तक पहुंचने के पहले और आज भी गांवों में या रिमोट एरिया में मनोरंजन का साधन रेडियो ही है, कुछ साल पहले तक वाहनों में भी एफएम रेडियो देखने को मिलता था, बाद में धीरे-धीरे डिजिटल मीडिया सिस्टम ने इसकी जगह ले ली।
पॉडकास्ट के अन्य फायदे –
1. Freedom to Listen to Audio – पॉडकास्ट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपना काम करते हुए कुछ भी सुन सकते हैं क्योंकि ऑडियो बेस्ड होता है तो यहां पर कंटेंट भी उसी तरह तैयार किया जाता है, कि आवाज के रूप में सुनकर के लोग समझ सके।
2. Variety of Content – यहां पर लगभग सभी कैटगरी से जुड़े कंटेंट मौजूद है, जो कि समय के साथ बहुत ही तेजी के साथ बढ़ रहा है, इसके कई सारे बेहतरीन फायदे है।
3. यूट्यूब की बात करें तो यहां पर वीडियो के रूप में कंटेन्ट देखने को मिलता है, जबकि पॉडकास्टिंग में केवल ऑडिओ के रूप में चीजें सुनने को मिलती है, इसलिए यह जरूरी नहीं कि आपको डिवाइस के पास हमेशा बैठे ही रहना पड़े।
4. विडिओ कंटेन्ट देखते समय हमें स्क्रीन पर देखते हुए ऑडिओ सुनना पड़ता है, क्योंकि विडिओ कंटेन्ट कुछ इस तरह से बनाए जाते है, कि उन्हें स्क्रीन पर देखते हुए ही समझ जा सकता है।
जबकि पॉडकास्ट के साथ ऐसा नहीं है, आप अपना कोई काम करते हु भी आसानी से पॉडकास्ट के एपिसोड सुन सकते है।
5. पॉडकास्ट में अपने हिसाब से कंटेन्ट को यूज करने की आजादी होती है आप जब चाहे अपने हिसाब से किसी भी तरह से कंटेन्ट को सुन सकते है।
इतना ही नहीं यदि आपको लगता है कि बाद मैँ इंटेनरेट की सुविधा नहीं मिलेगी तो इसके लिए आप एपिसोड को पहले से ही डाउनलोड करके रख सकते है, आज यह रेडियो की जगह ले रहा है क्योंकि इसका एक कारण है कि, टेक्नलॉजी के आने पर यहां आने वाला कंटेंट, जिस तरह से टेलीविजन पर जो चीजें दिखाई देती है उसी को सुनना पड़ता है।
ठीक उसी तरह रेडियो पर भी जो कार्यक्रम आते हैं उसे ही सुनना पड़ता है, जबकि पॉडकास्ट में ऐसा नहीं है जब आप चाहे जो चाहे सुन सकते हैं, यूजर को अपने हिसाब से जो सुनने का मन करे उसे सुन सकते हैं।
6. पॉडकास्ट के लिए कोई रेडियो की तरह कोई अलग से डिवाइस ले जाने का झंझट नहीं है, इसे आप अपने स्मार्टफोन में ही सुन सकते है जो कि ज्यादा आसान है।
7. क्योंकि पॉडकास्ट सुनने के लिए जिस डिवाइस की जरूरत पड़ती है वह है स्मार्टफोन, और आज के समय में लगभग हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है।
8. पॉडकास्ट सुनना एक नए जमाने का ट्रेंड है जो कभी आज से तीन-चार दशक पहले तक रेडियो का हुआ करता था, अब आज के समय में लोग रेडियो लेकर चलना पसंद नही करते इसलिए शहर और गांव में भी इसका चलन लगभग समाप्त हो रहा है, कुछ परिस्थितियों को छोड़कर।
9. Radio/FM Radio पर लाइव टेलीकास्ट होता है (हालांकि यह पूरे 24 घंटे नही होता है), खासकर एफएम रेडियो पर, यह जबकि पॉडकास्टिंग में ऑडियो बेस्ट कंटेंट एपिसोड के रूप में सुनने को मिलता है और हर एपिसोड की लंबाई क्रिएटर कंटेंट हिसाब से रख सकता है।
छोटे-छोटे एपिसोड के रूप में कंटेन्ट को सुनने में काफी आसानी होती है और इसे आसानी से समझा भी जा सकता है, जो कि आम उपयोगकर्ताओं के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है।
तो दोस्तों पॉडकास्ट क्या है? (Podcast Kya Hai, Podcast Meaning in Hindi) और इसके क्या फायदे है इसके बारे में हमें जानकारी मिल गयी होगी यदि आप इसके बारे में और ज्यादा जाना चाहते है तो नीचे कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गयी है।
रेडियो और पॉडकास्ट में अंतर –
हो सकता है कि आपको यह लग रहा हो कि पॉडकास्ट और रेडियो दोनों एक ही है तो आपका सोचना सही है लेकिन पूरी तरह से नहीं।
हा यह सही है कि ये दोनों एक ही है लेकिन इनमें सबसे बड़ा डिफरेंस इनकी टेक्नॉलजी का है और केवल यही एक कारण है जो ईन दोनों को एक बहुत बड़ा अंतर पैदा करता है।
दोनों में कंटेन्ट को यूजर तक डिलीवर करने का एक ही तरीका है और वह है ऑडिओ फॉर्मेट, तो चलिए बात करते है इन दोनों के बीच अंतर के बारे में।
1. पॉडकास्ट को सुनने के लिए आपके पास इंटरनेट होना जरूरी है, जबकि रेडियो के माध्यम से इंटरनेट की कोई आवश्यकता नहीं है।
2. पॉडकास्ट को आप चाहे तो बाद में सुनने के लिए डाउनलोड भी कर सकते है, जबकि रेडियो के साथ ऐसा नहीं है।
3. पॉडकास्ट का एक सबसे बड़ा फायदा है कि आप इसमें अपने हिसाब से कंटेन्ट सुन सकते है जबकि रेडियो के साथ ऐसा नहीं है यहाँ पर आपको जो भी चीजें प्रसारित की जा रही है उसे ही सुनना पड़ता है।
ऊपर दिए गए कारणों से आप इसका मतलब आसानी से समझ सकते है (Podcast Meaning in Hindi) कि पॉडकास्ट आज के समय में क्यों इतना लोकप्रिय हो रहा है, पिछले कुछ सालों से टीवी के साथ भी रेडियो का ही किस्सा होता रहा है अपने हिसाब से कंटेन्ट प्रयोग करने के कारण आज यूट्यूब इतना पॉपुलर हो गया है।
पॉडकास्ट कितने प्रकार के होते है? –
Solo/Monologue Podcast –
इस तरह के पॉडकास्ट में केवल एक ही व्यक्ति पॉडकास्ट को होस्ट करता है, अगर आप खुद का कोई कंटेन्ट क्रिएट करते है तो उसे सोलो या मोनोलॉग पॉडकास्ट कहा जाता है।
क्योंकि इसके लिए केवल एक लोगों के जरूरत होती है इसलिए इस तरह के पॉडकास्ट को आसानी से बनाया जा सकता है।
Co-Host Podcast –
इस तरह के पॉडकास्ट में एक से ज्यादा लोग हो सकते है, co-hosted पॉडकास्ट में दो व्यक्ति एक ही टॉपिक पर चर्चा करते है।
Co-Host Podcast पॉडकास्ट भी काफी ज्यादा चलते है, जिसमें लोग किसी टॉपिक पर बात करते है उसमें उनका अनुभव क्या है इसके बारे में जानकारी मिलती है।
Interview Podcast –
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, कि इस तरह के पॉडकास्ट में क्या कंटेन्ट हमें देखने को मिलता है, इंटरव्यू पॉडकास्ट में होस्ट किसी मेहमान (Guest) का इंटरव्यू लिया जाता है, इस तरह के पॉडकास्ट में आपको अक्सर गेस्ट के द्वारा किसी टॉपिक से जुड़ी इनफार्मेशन मिलती है।
दूसरे शब्दों में कहें तो इंटरव्यू में गेस्ट अपने अनुभवों के बारे में जानकारियां शेयर करते है।
जैसे आप हेल्थ से जुड़े टॉपिक पर पॉडकास्ट बनाते है तो, कोई इंटरव्यू करने के लिए इससे जुड़े किसी एक्सपर्ट व्यक्ति (जैसे- डॉक्टर) को अपने पॉडकास्ट पर इन्वाइट करते है और उनसे उस विषय पर सवाल जवाब करते है।
Panel Discussion –
पैनल डिस्कशन को राउंड टेबल डिस्कशन भी कहते है, इस तरह के पॉडकास्ट में एक से ज्यादा होस्ट और गेस्ट हो सकते है।
पैनल डिस्कशन में दो से ज्यादा लोग होते है, अक्सर इस तरह के पॉडकास्ट में किसी टीम या किसी फील्ड से जुड़े कुछ लोगों या अलग-अलग फील्ड से जुड़े लोगों को बुलाया जाता है।
Fictional and Non-Fictional Content –
फिक्शनल का मतलब है भूतकाल में हुई घटनाएं, जब किसी सच्ची घटना पर आधारित कोई कहानी होती है तो उसे फिक्शनल स्टोरी कहते है।
फिक्शनल स्टोरी के ऊपर बने पॉडकास्ट काफी ज्यादा चलते है, विडिओ के रूप में फिल्मों, टीवी और यूट्यूब के माध्यम से तो आपने ऐसी घटनाओं को देखा होगा।
पॉडकास्ट के रूप में भी इस तरह के कंटेन्ट को आसानी से बनाया जा सकता है, जो लोगों को कोई भी काम करते समय सुनने की आजादी दे, फिक्शनल के रूप में Documentry, News Reading इत्यादि चीजें आती है।
नॉन-फिक्शनल का मतलब है ऐसी चीजों से जिसका कोई अस्तित्व नहीं है ऐसी कोई कहानी जो कल्पनाओ पर आधारित हो।
पहले भी रेडियो पर ऐसी कहानियाँ सुनने को मिलती थी जिसे लोग बड़े ही शौक से सुना करते थे, कहानियाँ, ड्रामा, कल्पनाओं, कविता, हास्य व्यंग्य जैसी चीजें नॉन-फिक्शनल के रूप में देखने को मिलती है।
इस तरह के पॉडकास्ट को Storytelling या Narration भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें किसी भी चीज को एक स्टोरी के माध्यम से उसे रोचक बनाते हुए श्रोताओ तक पहुंचाया जाता है।
Re-Purposed Content –
ऐसा कोई कंटेन्ट जिसे अलग-अलग फॉर्मैट के लिए बनाया गया हो जैसे ब्लॉग, विडिओ इत्यादि, आज के समय में आप यूट्यूब पर बहुत से ऐसे विडिओ देख सकते है।
जो यूट्यूब पर तो विडिओ के रूप में है लेकिन उसे बाद में ऑडिओ के रूप में भी बनाया जाता है ताकि लोग उसको आसानी से सुन सकें।
क्योंकि इंटरव्यू जैसे कंटेन्ट को विडिओ के रूप में देखने की जरूरत नहीं पड़ती है, इसे ऑडिओ के रूप में भी सुना जा सकता है।
पॉडकास्ट सुनने के कौन-कौन से एप्स है? –
पॉडकास्टिंग की जब शुरुआत हुई थी तब उसके बाद कुछ सालों तक इसमें ज्यादा ऑप्शन नहीं थे, लेकिन जब इंटरनेट ने आम लोगों तक अपनी अपनी पहुँच बनाई, इसके बाद हमें ऐसे बहुत से पोड़कटिंग प्लेटफोरम देखने को मिलते है।
नीचे कुछ ऐसे ही पॉडकास्ट सुनने के लिए एप्स की लिस्ट दी गयी है, जिनमें से आप किसी को भी प्रयोग कर सकते है।
Google Podcast –
गूगल पॉडकास्ट काफी पॉपुलर एप है जहां पर आपको लगभग सभी तरह के पॉडकास्ट सुनने को मिल जाएंगे, आपके स्मार्टफोन में यह एप काफी कम जगह लेता है।
साथ ही इसको प्रयोग करना भी काफी आसान है, आप गूगल पॉडकास्ट को प्ले स्टोर/एप स्टोर से डाउनलोड कर सकते है, इसमें एक अच्छा फायदा है कि यहां एकाउंट बनाने के लिए केवल ईमेल आईडी से लॉगिन करने की जरूरत पड़ती है।
Khabri App –
खबरी एप भी एक पॉपुलर प्लेटफॉर्म के रूप में उभर रहा है, यहां पर भी आप न सिर्फ कंटेंट सुन सकते है, बल्कि एक क्रिएटर के रूप में भी काम करके पैसे कमा सकते है।
यहां पर हिंदी और अंग्रेजी भाषा का सपोर्ट मिलता है, साथ ही अन्य एप्स की तुलना में यहां काफी तेजी से क्लिक करते ही ऑडियो प्ले होना शुरू हो जाता है, यदि आप एक साधारण सा यूजर इंटरफेस चाहते है तो यह एप काफी बढ़िया है।
Anchor.FM –
एंकर एफ़एम भी अन्य बाकी के प्लेटफार्म की तरह है जहां पर आप कोई भी पॉडकास्ट सुन सकते है, इसकी खास बात यह है कि यहां पर आप खुद पॉडकास्ट बना कर अपलोड भी कर सकते है।
और भविष्य में इससे पैसे कमाने की संभावनाएं आपके लिए खुल जाती है, इसके बारे में हमने आगे बात की है।
यहां पर अभी हिंदी भाषा मे वाइड रेंज में कंटेंट उपलब्ध नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे आने वाले समय में यहां पर भी और अधिक ऑडियो उपलब्ध होंगे।
KUKU FM –
KUKU FM काफी बढ़िया एप है, ऑडिओ के रूप में कंटेन्ट के लिए, यहां पर हर कैटगरी में हजारों की संख्या में पॉडकास्ट उपलब्ध है जिसे अपनी इच्छानुसार जब चाहे सुन सकते है।
कूकू एफ़एम बाकि के अन्य प्लेटफॉर्म की तरह फ्री नहीं है, इसको प्रयोग करने के लिए आपको इसका सब्स्क्रिप्शन लेना पड़ता है जो कि Rs-400/Year है।
अगर इस हिसाब से भी देखा जाए तो यह बिल्कुल सही है, क्योंकि यहाँ पर एक छोटी सी फीस के बदले जो फीचर्स दिए जाते है वह पूरी तरह इसको जस्टफाइ करते है।
Self Help, Romantic, Motivation, Horror जैसी कई जॉनर में ऑडिओ कंटेन्ट सुनने को मिलेंगे, एड फ्री एक्सपीरीयंस के साथ एडी स्ट्रीमिंग और अनलिमिटेड डाउनलोड की सुविधा मिलती है, जो कि इसकी कीमत के हिसाब से बिल्कुल सही रखी गयी है।
Pocket Casts –
इस एप्लिकेशन को लोकप्रिय बनाने वाली विशेषताएं क्रॉस-प्लेटफ़ॉर्म सिंकिंग और ऑटो एपिसोड डाउनलोडिंग और क्लीनअप जैसे खास फीचर्स हैं।
Pocket Casts ऊपर के बाकी प्लेटफॉर्म की तुलना में फ्री नहीं है यदि आप इसको प्रयोग करना चाहते है तो इसके लिए पेड सब्स्क्रिप्शन लेना पड़ता है।
Pocket Casts आपको अपनी सुनने की आदतों के आधार पर कई नए पॉडकास्ट खोजने की सहूलियत देता है।
अपने पसंदीदा विषयों के बारे में अधिक बातचीत खोजने में मदद करता है, इससे भी अधिक, यह आपके डाउनलोड किए गए पॉडकास्ट को व्यवस्थित करने के लिए एक सरल सेट-अप सेटअप दिया गया है।
इसके कुछ अतिरिक्त आकर्षक की बात करें तो टाइम स्किप, टाइम स्लीपर आदि शामिल हैं।
Apple Podcasts –
apple ही पॉडकास्ट का जनक है, एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स के द्वारा साल 2005 में इसकी शुरुआत की गयी थी, तब से लेकर आज तक यह पॉपुलर प्रोडक्ट रहा है।
एप्पल पॉडकास्ट की बात करें तो यह एप्पल के सभी डिवाइसेस में ऑटो सिंक होकर चलता है, मतलब आप इसे iPhone, Mackbook या Apple Car Play, Apple TV कहीं पर भी सुन सकते है।
क्योंकि ये सभी डिवाइसेस एक इको सिस्टम में काम करती है, इसलिए एप्पल प्रोडक्टस के ऊपर यह आपको काफी बेहतरीन experience दे सकता है।
यहाँ पर भी आपको लगभग वही सारे फीचर मिलते है, लेकिन यह केवल IOS के लिए उपलब्ध है, यदि आप एप्पल यूजर है तो इसको बड़ी ही आसानी से यूज कर सकते है।
ऊपर बताये गए ऐप्स के अलावा भी कई सारे प्लेटफ़ॉर्म है जहां पर ऑडियो कंटेंट सुन सकते है और इसे एक बार ट्राइ जरूर कर सकते है और ये गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है।
Summary –
हर तरह के माध्यम के अपने फायदे और कमियाँ होती है, लेकिन यदि बात पॉडकास्ट की हो तो यह आज के समय में जिस तरह से पॉपुलर है वह आने वाले समय में और भी ज्यादा पॉपुलर देखने को मिलेगा।
पॉडकास्ट ने आज कुछ भी सीखने के तरीके को बदल दिया है आप कोई काम करते हुए भी इसे सीख सकते है।
Podcast Kya Hai, इसके बारे में हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमें जरूर बताएं नीचे कमेंट बॉक्स में, यदि आपके पास इससे जुड़ा कोई भी सवाल या सुझाव हो तो उसे भी लिखना न भूलें, धन्यवाद 🙂